न्याय चौपाल, छोटी टोली की बैठक आयोजित
न्याय चौपाल, छोटी टोली की बैठक 5 जुलाई, 2022 को ऑनलाइन माध्यम (गूगलमीट) से आयोजित हुई। इस बैठक में न्याय चौपाल के राष्ट्रीय महासचिव श्री गोविन्द गोयल विशेष रूप से उपस्थित थे। इस बैठक का संचालन श्री गंगाशंकर मिश्र ने किया। इसके साथ ही इस बैठक में श्री संतोष तिवारी, प्रो. जे.पी. यादव, श्री सतीन्दर सिंह महेश, डॉ. आशा शर्मा, श्री कुंदन, श्री मनोरंजन द्विवेदी, श्री एन.सी. वाधवा, श्री मुनीश्वरलाल कथूरिया, श्रीमती प्रतिभा शर्मा, श्री राजकुमार अग्रवाल, श्री राम किशन, श्री संदीप मित्तल, श्री निशिकांत चौधरी, श्रीमती अनुपमा गोयल सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।
बैठक में निम्नलिखित इकाइयों की सक्रियता के वृत्त आए–
श्री संतोष तिवारी (न्याय चौपाल, रोहतक) : कुल-7 केस, समाधान-4, प्रक्रिया जारी (पेंडिंग)-3।
श्री संदीपजी (न्याय चौपाल, फरीदाबाद) : कुल-32 केस, समाधान-24, प्रक्रिया जारी-8।
श्री मनोरंजन द्विवेदी
(न्याय चौपाल, गुरुग्राम) : कुल-22 केस, समाधान-5, प्रक्रिया जारी-17।
(न्याय चौपाल, पंचकूला) : कुल-2 केस, प्रक्रिया जारी-2।
श्री कुंदन (न्याय चौपाल, चंडीगढ़) : कुल-10 केस, समाधान-6, प्रक्रिया जारी-4।
श्री निशिकांत चौधरी (न्याय चौपाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र) : कुल केस-81, समाधान-74 केस, प्रक्रिया जारी-7।
बैठक में अपने विचार रखते हुए श्री गंगाशंकर मिश्र ने कहा कि न्याय चौपाल के काम में रिटायर्ड- जज, आईएएस, आईपीएस, वकील, प्राध्यापक जैसे प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को जोड़ना है। ऐसे जो अनुभवी हों और जिनमें समय देने की प्रवृत्ति हो। ऐसे लोगों की हर जिले में एक टोली बने। व्यक्तिगत संपर्क, मित्र, जानकार, आरडब्ल्यूए से, धर्मस्थल के माध्यम से, ऐसी संस्थाएं जो इस विषय को लेकर कार्यरत हैं, इन सबसे हमें केस मिल सकते हैं। केसों की प्रकृति अनुसार उनका वर्गीकरण करें। दो लोगों की टोली हो। जिला प्रमुख को टोली के बारे में जानकारी हों। वैवाहिक विवाद समाधान में महिला कार्यकर्ता अवश्य रहें। पूरी प्रक्रिया के दौरान कम बोलें। गंभीर रहें। पूरी बात सुनें। सुनते समय प्रतिक्रिया नहीं देना। उत्साह में दूसरी पार्टी को नहीं टोकना। धैर्य रखना। अपने ऊपर नियंत्रण रखना। कमिटमेंट नहीं करना। गोपनीयता का ध्यान रखें। पहले विवाद की जड़ तक पहुंचना, फिर विवाद का समाधान करना। समाधान इस प्रकार कि दोनों पार्टियों को स्वीकार हो। वरिष्ठ कार्यकर्ता से सलाह लेना। विवाद स्थल धार्मिक स्थान और सामाजिक संस्थान का कार्यालय हो सकता है। सुचारु प्रक्रिया के लिए केस रजिस्टर्ड करें, जिसमें क्रमांक, स्थान, तिथि, दोनों पार्टियों का विवरण एवं टीम सदस्यों के नाम हों।
प्रो. जे.पी. यादव ने कहा कि न्याय चौपाल के पब्लिकेशन में परफॉर्मा को सर्कुलेट करना चाहिए।
श्री संतोष तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि डिजिटल मोड में दो दिन की कार्यशाला कर सकते हैं।
न्याय चौपाल के राष्ट्रीय महासचिव श्री गोविंद गोयल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय चौपाल का कार्य करते हुए कई वर्ष हो गए हैं। इस दौरान इसकी कार्यपद्धति (methodology) विकसित हुई है। कई तरह के हमारे अनुभव आए हैं। कार्यशाला करने का सुझाव आया है। पहले भी 3-4 कार्यशालाएँ हुई हैं। इसे शीघ्र आयोजित करेंगे। न्याय चौपाल का काम संवेदनशील (sensitive) है। बिना सोचे-समझे इससे किसी कार्यकर्ता को नहीं जोड़ना है। बहुत बड़ी टोली करें, आवश्यक नहीं। भीड़ इकट्ठी नहीं करनी। प्रामाणिक लोग हों। चयन करके (selectively) जोड़ना है। गत वर्षों में अच्छे लोगों की टोली बनी है। विवाद समाधान पर केंद्रित पुस्तिकाएं प्रकाशित हुई हैं। उसमें प्रारूप (proforma) दिया गया हैं। यह वेबसाइट पर है। प्रिंटआउट ले सकते हैं। विवाद के समाधान का स्थल सामाजिक संस्था, मंदिर, सामुदायिक केंद्र, विद्यालय इत्यादि हो सकते हैं।
इस बैठक में श्री संतोष तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।