न्याय चौपाल की केंद्रीय बैठक में मा. कृष्णगोपालजी का उद्बोधन
न्याय चौपाल की केंद्रीय बैठक 18 मार्च, 2023 को एफआईए हॉल, बाटा चौक, फरीदाबाद में आयोजित हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपालजी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इसके साथ ही इस बैठक में न्याय चौपाल के राष्ट्रीय महासचिव श्री गोविन्द गोयल, श्रीमती अनुपमा गोयल, श्री गंगाशंकर मिश्र, श्री आर.के. केशवानिया, डॉ. मुक्ता गुप्ता, श्री संदीप मित्तल, श्री आर.एल. बोरार, श्री राजकुमार शर्मा, श्री मनोज गुप्ता, श्री बद्री नारायण शर्मा, डॉ. एन.सी. वाधवा, डॉ. जे.पी. यादव एवं श्री संतोष तिवारी उपस्थित थे।
इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपालजी द्वारा प्रस्तुत उद्बोधन के प्रमुख अंश—
- विवादों के मूल कारण क्या हैं, इसे जानना चाहिए।
- 15-20 विवादों के कन्क्लूजन पर चर्चा करना चाहिए। उस पर ब्रेन स्टॉर्मिंग करना चाहिए। अंत में निष्कर्ष निकालें। फिर सॉल्यूशन ढ़ूढ़ें।
- हमारे लोगों के मन छोटे क्यों हो रहे हैं? गलती हुई कहाँ? रूटकॉज को ढूढ़ें।
- बच्चों के डेवलपमेंट को लेकर सोचना चाहिए।
- अच्छा आदमी बनें, इसका प्रयास हो।
- माँ-बाप और बच्चों की भी काउंसलिंग होनी चाहिए।
- बहुत पैसे के बजाए एक सामान्य स्तर का घर अच्छा चले, यह आवश्यक है।
- कम पैसे में सुखी कैसे रह सकते हैं। आनंद में कैसे रह सकते हैं, इस जीवन-पद्धति पर बात हो।
- समस्या सुलझाते रहें। साथ-साथ बीमारी को समझना है।
- लोगों में सहनशक्ति कम हो रही है।
- एडजस्टमेंट का संस्कार बचपन से आता है। बच्चों के अंदर संस्कार डालें।
- नयी पीढ़ी को समझाएं। छोटे बच्चों (6 साल) से बातचीत शुरू करें।
- जो बचपन में संस्कार पड़ता है, उसका प्रभाव जीवन भर रहता है।
- जिन इकाइयों में आवश्यकता है, वहां जाएं। महीने में एक-दो बार। अपना अनुभव उन्हें बताएं।
- न्याय चौपाल के काम में पैसे की कोई भूमिका नहीं है।
- गोपनीयता बरतें।
- अच्छी बातें सब जगह बताएं।
- टीम सौ प्रतिशत अराजनीतिक हो।
- किसी प्रकार का इंटेरेस्ट है, उनको टीम में शामिल नहीं करना।
- अपने काम का बहुत प्रचार नहीं करना। विज्ञापन बोर्ड नहीं लगाना। समाचार-पत्र में नहीं देना।
- चारों स्थानों पर बच्चों के संस्कार का काम शुरू करें। कहानी, खेल, चुटकुले सुनाएं। 2-3 लोग विचार करें कार्यक्रम के लिए।
- बहनों को महिला कार्य में लगाएं।
- भविष्य की पीढ़ी संस्कारवान बनें।
- उदाहरण बताएं।
- ईमानदारी-प्रामाणिकता महत्व का या धन?
- माता-पिता को भी समझाएं।
- सत्यनिष्ठ जीवन महत्वपूर्ण है।
- एक लड़के के पास 10 जोड़ी जूते, कुर्ते, क्रॉकरी की लाइन लगी है, यह मानसिकता अच्छी नहीं है समाज के लिए, फिर उल्टे-पुल्टे काम करते हैं।
- एक अच्छे परिवार को कैसे पाला जाता है। इस पर चर्चा करें।
- संस्कार से बच्चे सुधरते हैं, कुसंस्कार से बच्चे बिगड़ते हैं।
- तलाक कराने में हमने सहयोग किया, लेकिन ऐसा हो ही नहीं। हम मेल भी कराएं।